लखनऊ, जागरण ब्यूरो : अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को राष्ट्रीय
अध्यापक शिक्षा परिषद की मंशा के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति के लिए
अर्हताकारी परीक्षा का दर्जा दिलाने पर सहमति बनी है।
शिक्षकों की
नियुक्ति टीईटी की मेरिट के आधार पर न करके पूर्व में निर्धारित प्रक्रिया
के अनुसार अभ्यर्थियों के हाईस्कूल, इंटर मीडिएट और स्नातक स्तर पर प्राप्त
किये गए अंकों के प्रतिशत के आधार पर की जाएगी। इसके लिए उप्र बेसिक
शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में संशोधन किया जाएगा। विवादों में
घिरे टीईटी के पहलुओं पर विचार करने के बाद मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की
अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की बुधवार को हुई बैठक में इस पर
सहमति बनी है। समिति रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजेगी। इन परिस्थितियों में
टीईटी को निरस्त करने की संभावना भी है। हालांकि समिति की रिपोर्ट पर अंतिम
फैसला सीएम को करना है।
लखनऊ।
मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षा में गठित हाई पावर कमेटी ने शिक्षक
पात्रता परीक्षा (टीईटी) के मामले की पूरी पड़ताल कर ली है। रमाबाई नगर की
पुलिस व विभागीय अफसरों से मिली रिपोर्ट से पता चला है कि टीईटी में सभी
अभ्यर्थी धांधली से पास नहीं हुए हैं। अंक बढ़ाने के लिए धांधली जरूर की गई
है। इसकी वास्तविक जानकारी के लिए रिजल्ट तैयार करने वाली कंप्यूटर कंपनी
के साफ्टवेयर की जांच स्टेट फोरेंसिक लैब से कराई जा रही है। मुख्य सचिव
शीघ्र ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपनी रिपोर्ट दे देंगे। मुख्यमंत्री
इस पर अंतिम निर्णय करेंगे। पर जानकारों को मानना है कि अब तक की हुई जांच
से टीईटी 2011 के रद होने की संभावना कम है। सूत्रों का कहना है कि पूरी
परीक्षा में धांधली के साक्ष्य नहीं मिले हैं। कुछ अभ्यर्थियों के अंक
बढ़ाने के जरूर सुबूत मिले हैं। बताया जाता है कि ऐसे अभ्यर्थियों को
चिह्नित करके उन्हें टीईटी से अलग करने पर विचार चल रहा है। ब्यूरो
No comments:
Post a Comment