बीटीसी अभ्यर्थियों के चयन का रास्ता साफ
इलाहाबाद
(ब्यूरो)। प्रदेश के 72825 टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के सहायक अध्यापक
पद पर चयन और नियुक्ति के मामले में बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी उर्दू
अभ्यर्थियों के चयन का रास्ता साफ हो गया है। बेसिक शिक्षा सचिव द्वारा
अदालत में दिए हलफनामे में कहा गया है कि एक दिसंबर 2011 को जारी संशोधित
विज्ञापन को रद करके बीटीसी अभ्यर्थियों के अलग चयन के लिए विज्ञापन जारी
किया जाएगा। शपथपत्र में चयन प्रक्रिया का भी विस्तृत उल्लेख किया गया है।
मामले
की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने कहा कि सचिव के शपथपत्र में
अधूरी सूचनाएं दी गई हैं। इसमें यह नहीं बताया गया है कि विज्ञापन किस तिथि
को जारी होगा। कोर्ट ने 25 मई तक विज्ञापन जारी की तिथि बताने का निर्देश
दिया है। उल्लेखनीय है कि इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने
सचिव बेसिक शिक्षा को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि बीटीसी
अभ्यर्थियों को छह माह के प्रशिक्षण हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा। सचिव
बेसिक शिक्षा की ओर से कहा गया है कि बीटीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति के नए
सिरे से विज्ञापन जारी करने के लिए सभी जिलों के डायट को निर्देश जारी किए
गए हैं। विज्ञापन जारी होने के बाद उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो जाएगा।
- बेसिक शिक्षा सचिव ने कोर्ट में दिया हलफनामा
- विज्ञापन रद कर नया विज्ञापन जारी किया जाएगा
- बीटीसी चयनितों को नहीं करना होगा प्रशिक्षण
- 25 मई को होगी मामले की सुनवाई
बीटीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रुख स्पष्ट करे सरकार
इलाहाबाद : उच्च न्यायालय ने अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) चयन के तहत
नियुक्ति पर रोक की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई की अगली तिथि 25 मई
नियत की है। आज राज्य सरकार की तरफ से न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर बताया
गया कि उर्दू बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी डिग्रीधारकों को टीईटी
मेरिट आधार पर चयन प्रक्रिया से अलग रखा गया है। इन डिग्रीधारकों को भी
अन्य टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के चयन में शामिल करने का फैसला लिया था
जिसे सरकार ने वापस ले लिया है। अब इन डिग्रीधारकों का अलग से चयन किया
जाएगा। सरकार के इस हलफनामे के बाद न्यायालय ने पूछा कि इनकी चयन प्रक्रिया
कब शुरू होगी। इन डिग्रीधारकोंने याचिका दायर कर मांग की है कि उन्हें
दुबारा प्रशिक्षण लेने के लिए बाध्य न किया जाय और चयनित अभ्यर्थियों की
सीधी नियुक्ति कर दी जाय। इस पर न्यायालय ने सरकार का रुख जानना चाहा।
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