Monday, April 30, 2012

निरस्त नहीं की जाएगी टीईटी
फैसला एक हफ्ते में : अखिलेश यादव
•अमर उजाला ब्यूरो
मैनपुरी/लखनऊ। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) मामले पर एक हफ्ते में निर्णय ले लिया जाएगा। इसके बाद शिक्षकों की भर्तियां शुरू कर दी जाएंगी। सोमवार को मैनपुरी में एक विवाह समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह बात कही। उधर, मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी ने टीईटी मामले की जांच पूरी करते हुए रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसे शीघ्र की मुख्यमंत्री को सौंप दी जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि टीईटी को अर्हता परीक्षा न मानते हुए पात्रता परीक्षा माना जाएगा। शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी से मेरिट न बनाकर शैक्षिक योग्यता के आधार पर मेरिट बनाई जाएगी। जांच के दौरान यह भी पाया गया है कि अंक बढ़ाने के नाम पर करीब 27 हजार ऑसर शीट में हेराफेरी की गई है। इसलिए इतने ही अभ्यर्थियों को इससे अलग रखा जाएगा।

khilesh Yadav : UPTET 2011 Exam will not be cancelled 
निरस्त नहीं होगी टीईटी परीक्षा


Akhilesh Yadav : UPTET 2011 Exam will not be cancelled


शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) मामले पर एक हफ्ते में निर्णय ले लिया जाएगा। इसके बाद शिक्षकों की भर्तियां शुरू कर दी जाएंगी।इससे टीईटी के निरस्त किए जाने की संभावना काफी हद तक कम हो गई है।


गौरतलब है कि यूपी में 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी नवंबर 2011 में आयोजित की गई थी। इसमें धांधली की शिकायत के बाद तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद से ही टीईटी निरस्त किए जाने की संभावना दिखने लगी थी। इस संबंध में टीईटी पास अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिला था। उन्होंने पूरे मामले की जांच के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी बना दी थी। इसमें प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव, सचिव माध्यमिक शिक्षा पार्थसारथी सेन शर्मा, सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार और प्रमुख सचिव न्याय को रखा गया था। 


समिति ने रमाबाई नगर की पुलिस की जांच रिपोर्ट और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से पूछताछ के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। मुख्य सचिव को रिपोर्ट तो वैसे 29 अप्रैल को ही मुख्यमंत्री को सौंपनी थी, लेकिन सभी सदस्यों के हस्ताक्षर न होने की वजह से रिपोर्ट एक-दो दिन बाद सौंपी जाएगी।


News : Amar Ujala (1.5.12)


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If recruitment process changed then another court case is waiting for TET candidates, And matter can go in High Court/ Supreme Court etc.


It can be better, If only cheaters / culprits kept out from this selection process. And recruitment continue from process decided earlier.


आधार बदलने पर फिर से टीईटी  अभ्यर्थीयों को कोर्ट के केसों में उलझना पड़ना  सकता है , क्योंकी बहुत से अभ्यर्थी चयन का आधार बदलने पर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे और मामला फिर हाई कोर्ट व् सुप्रीम कोर्ट में पहुँच सकता है, इसमें कितना समय लगेगा अनिश्चित  ही  है 
और मामले पर पुन स्टे लगने की सम्भावना  को नाकारा नहीं जा सकता 


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बेहतर होता की चयन प्रक्रिया में बदलाव नयी भर्ती के दोरान होते और उसमें भी   कानूनी अडचनों का सामना करना पड़ सकता है ,
कारण - एक बार दोबारा से नियम बदलने पर , कुछ अभ्यर्थी अकादमिक चयन में विषमताओं (अलग - अलग बोर्ड , अलग अलग यूनिवर्सिटी में मूल्याँकन समान न होने पर )   को आधार बना कर मामले को चेलेंज कर सकते हैं , हालाँकि चयन करने वाले के पास चयन प्रणाली निर्धारित करने के अधिकार हैं ,


युपी टीईटी २०११ में चयन प्रक्रिया अंतिम दोर में थी तो उसमें  कोई  भी  बदलाव , चयन में रूकावट ला सकता है 



Advertisement may not cancel due to large volume of TET Candidates

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टीईटी परीक्षा
सकारात्मक रुख के साथ फैसला दो मई तक सुरक्षित
नियम विरुद्ध निकाले गए भर्ती विज्ञापन को किया था चैलेंज

बड़ौत, जागरण कार्यालय : प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की 72,825 पदों पर भर्ती से संबंधित केस में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सकारात्मक रुख अपनाया है। सोमवार को आधे घंटे की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने अपना फैसला दो मई तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट के सकारात्मक रुख से जहां शिक्षक भर्ती के बहाल होने के उम्मीद जगी है, वहीं केस लड़ रहे टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की बांछें खिल गई हैं।
अध्यापक सेवा नियमावली के विरुद्ध सक्षम अधिकारी द्वारा शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं करने के मामले में हाइकोर्ट ने वादी-प्रतिवादी पक्ष को सुना। कोर्ट में मौजूद रहे टीईटी संघर्ष मोर्चा के जिला प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने वादी अधिवक्ता से पूछा कि उन्हें किस बात पर आपत्ति है। वादी अधिवक्ता ने बताया कि शिक्षक भर्ती का विज्ञापन सक्षम अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया है, जो अध्यापक सेवा नियमावली (1961) के विरुद्ध है। इस पर कोर्ट ने वादी अधिवक्ता से पूछा कि क्या टीईटी के आधार पर बनाई जाने वाली मेरिट पर तो कोई ऐतराज नहीं है। 
वादी अधिवक्ता ने कहा कि टीईटी मेरिट को भर्ती का आधार बनाने पर कोई दिक्कत नहीं हैं। न्यायमूर्ति ने नियम के मुताबिक विज्ञापन जारी करने की बात कहते हुए अपना फैसला दो मई तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। इधर, इस संबंध में सोमवार को मैनपुरी में जारी एक बयान में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर टीईटी पर सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया जाएगा। बहरहाल, हाई पावर कमेटी की जांच के बाद जहां टीईटी को निरस्त किए जाने की संस्तुति राज्य सरकार से की जा चुकी है, वहीं कोर्ट इतनी बड़ी तादाद में उत्तीर्ण अभ्यथिर्यों के प्रति सहानुभूति रुख अपनाते हुए इस भर्ती को रद करने के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहा है।



प्रमोशन में कोटा नहीं देने के फैसले पर सियासी उबाल 


नई दिल्ली (ब्यूरो)। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण नहीं देने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को पलटने का केंद्र सरकार पर सियासी दबाव बन गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा में इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे बदलने के लिए संविधान संशोधन की आवाज बुलंद की। उधर, लोकसभा में भी कांग्रेस के पीएल पुनिया ने भी इस मांग का समर्थन किया। मामले की सियासी संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार ने भी संकेत दे दिया है कि वह इस मसले का अध्ययन कर मांग पर गंभीरता से विचार करेगी। 
राज्यसभा में मायावती ने यह मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से दो टूक मांग की कि वह इस संबंध में संसद के मौजूदा सत्र में संशोधन विधेयक लेकर आए ताकि अदालत की व्यवस्था को निष्प्रभावी बनाया जा सके। 
•रास में मायावती तो लोस में पुनिया ने उठाई संविधान संशोधन की मांग । wah re Rajneeti

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